सीने की आग..(SA)

सर
एहमद नियझी सहाब ,
अस्लम ओ अलेकुम ,
     आपकी पाकिस्तान टीव्ही पे वारदात सुनी ओर देखी कूछ बात तो सामने आयी कूछ बात की अफसोस ओर मेहमानोनकी बाते भी सुनी ,
आये इस्लाम की दस्तान सूनके "या अल्लाहो अकबर की शहमात के दरिंदे इंसा की चिल्लती नसल देखके ओर सूनके कूछ लिखानेका मन मे आया ..
मे आपके लायक नही हूं नाही एके जजबे को ठीक तराह से सोच सकता हूं पर इनशालहा या खुदा ने मुझे लाजवाब दिमाग ओर तिरके लफज की पेशकश दियी हे,
आप तो हमे कुफ्फर ओर बुतपरस्त मानते हो इस्लाम आने से पहले या तो इंसा नही था या इंसानियात नही थी ये आपकी केहनी हे,
नियझी सहाब आप केहते हे की इस्लाम ने "हिंदोस्ता" के उपर हजार साल हुकूमत कियी हे ..
आपले कहानी मे दिल ए मसलत जरूर हे मगर एक बात की मे आपको तससली देना चाहता हूं की फिलिस्तान ओर पर्शिया ओर मोसोपोटोमिया सौ साल के अंदर अंदर पुरे इस्लामी मुलक बन गये ये हमारी सारजमी ए हिंदोस्ता सिर्फ आपका पाकस्तान ओर बंगाल छोडके बाईस प्रतिशत मुसलमान क्यू रेह सके ? क्या आप मुझे ये बता सकते हो.
      नियझी सहाब अपने राम का पुत्र लव का"लाहोर"लिया महाभारत की विरागिनी का "गांधार" लिया , अयोध्या की जगाह ली मगर सहाब ये मत भूलो हमरा "हिंदुत्व" आप छिन नही सकते , मत भूलो हमारे पास एक नही हमारी पुरी "हिंदू नसल" "संभाजी" हे ,
तुम हिंदोनपे हजार साल गुलामी की बाते अर्ज करते हो ये मत भुलना आंगरेज आने से पहले ये हिंदोस्ता की सलतनत "मराठा साम्राज्य" की थि ..
हम हिंदू हे , हिंदूत्व जीए हे , हिंदू रेहकर ही मरेंगे , गांधार से लेकर अरांकान तक ओर कन्याकुमारी से लेकर काराकोरम तक ये सरजमी हमारी हे , हमारी रेहेगी , जो उखाडणी हे उखाडलो,
   ये सरजमी के हर एक मैल पे हमरी "निशा ए बुतोंकी" मौजुदी हे
आप ने हमे मकेश्वर से हटाया ढाकेश्वर से हटाया मगर आपकी अगली सोच शायद आपकी मस्जिदे ओर आपकी "एक ? ही किताब" आपको हाटानी पडेगी.
   हम कुछ करते नही हे इसका मतलब हम मुडदा नही हे हम जिंदा हे हरदम हर लफज पे धीरे धीरे जाग रहे हे
नियझी सहाब हर दौरे की जहासे शुरुवात होती हे ना वो सफर खतम भी वाहिसे ही होती हे ,
      खैर,
आपतो बडे होशियार हो, पढे लिखे आदमी हो, बहोत किताबे पढी हे आपने,
   शायद हिंदू क्या होते हे आपने पढा होगा, अब देखने की बारी आयेगी आपकी,
      "अललाह हाफीझ"
  @हृषीकेश   9.00 PM .... 24/09/2017 ..........

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