खिलाफत ए उस्मानिया.

तकरीर दामन की मैं कहासे लाऊ ?
जखमी हूं हरतरफा, कहां जाऊ ?
खता ए इतिफाक बुझता चिराग,
खो गया हूं कद्र, दिन कहासे लाऊ ?

अमन की आशा खयाल कहासे लाऊ ?
जखमी बूतशिकन हूं खुद, कहा जाऊ ?
हमदर्दी खो गया हूं, बना हूं गावारा,
काफिर चिडीयां गुम गयी,अब गुलशन कहासे लाऊ ?

खवाहिश ए जिहाद से मेरा खुदा गुम गया,
अंजुमन ए इत्तीहाद से मेरा गुलिस्ता खो गया,
मेरा गुरुर है बरकरार, जंग का जजबा है जवान,
दस्ता जशन की है अफसोस, चैन कहासे लाऊ ?

उम्मीदे नजफत त्योहार का खुमार,
अकिबत अनजानी नादानी का निशान,
मिली चाबी पैगाम कि,पल का गुम गया ताला,
बना गया हूं फाईक ए लाला,फुरसत कहासे लाऊ ?
@HRK Vaishampayan , 9.31 PM,
19/01/2020


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